Tuesday, April 7, 2020

श्रीबलरामस्तुति: संस्कृत कविता : डॉ हिमांशु गौड़

।।श्रीबलरामस्तुति:।।
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हे कृष्णाग्रज! शेषनागबलराट्! हे दिव्यलोकाधिप!
हे नारायणसौख्यदायिशयन! श्रीमद्गुरोस्सुप्रिय!
हे पृथ्वीधरण! प्रभो! हरिनिभाभासैस्समुद्भासित!
हे हे द्वापरमल्लयुद्धकरण! श्रीमद्धलिन् ते नमः।।१।।

हे कृष्णस्य पदं पदं प्रतिपदं साहाय्यसन्तत्पर!
हे नानासुरघातका!ऽतिभयद!न्यायप्रिया!ऽन्यायहृत्!
त्वं दुर्योधनभीमशिक्षणरतो हे विप्रगोरक्षक!
मद्बुद्धिं कुरु सत्यधर्मशरणे सङ्कर्षण!ऽऽकर्षण!!२!!


धर्मस्थापनतत्परश्शिवकरश्शम्भुप्रियश्श्रीयुतस्-
त्वं नानाविधयुद्धकौशलपरस्त्वं चासि नीलाम्बरस्-
त्वं दैन्यादिविदारकोऽतिविमलस्त्वं सर्वसम्पालकस्-
त्वं हर्यङ्ग इवैव भासि बलराट्! त्वं मेऽसि पूज्यस्सदा।।३।।

हे मेघद्युतिवस्त्रवेष्टिततनुर्हे हेममालिन्! प्रभो!
त्वम्पीताम्बरसुप्रियो मम शुभं धत्से व्रजे भ्राम्यसि
वैशम्पायन-सुप्रसन्न-वरदस्त्वं हेममाली महान्
त्वं सर्वं श्रुतिशास्त्र-तत्त्वमपि भो: भाषेस्सहस्रै: फणै:।।४।।

त्वं दिव्यश्रुति-वर्णि-तत्त्व-शरणस्त्वं यज्ञसंरक्षक:
त्वं सूर्यादि-जगत्प्रकाश-पदवी-लोकैस्समालोकित:
हे रामानुज-रूप-लक्ष्मणगुरो! त्रेतायुगे वर्तित!
हे फुङ्कार-विदग्ध-लोक! तव वै भक्तौ वयं संरता:।।५।।

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© डॉ. हिमांशु गौड़
०१/०२ मध्याह्ने, ०७/०४/२०२०, गाजियाबादस्थसदने।



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