Monday, April 6, 2020

यज्ञ क्या है, यज्ञ के कितने प्रकार हैं : विस्तृत जानकारी

यज्ञ दो प्रकार के होते है- श्रौत और स्मार्त ।

श्रुति प्रतिपादित यज्ञो को श्रौतयज्ञ और स्मृति प्रतिपादित यज्ञो को स्मार्तयज्ञ कहते हैं!
श्रौत यज्ञ में केवल श्रुति प्रतिपादित मंत्रो का प्रयोग होता है और स्मार्त यज्ञ में वैदिक पौराणिक और तांत्रिक मंन्त्रों का प्रयोग होता है।

मित्रों!
वेदों में अनेक प्रकार के यज्ञों का वर्णन मिलता है। किन्तु उनमें पांच यज्ञ ही प्रधान माने गये हैं - 1. अग्नि होत्रम्, 2. दर्शपौर्णमास, 3. चातुर्मास्य, 4. पशुयाग, 5. सोमयज्ञ, ये पाॅंच प्रकार के यज्ञ कहे गये हैं, ये सभी  श्रुति प्रतिपादित हैं! वेदों में श्रौत यज्ञों की अत्यन्त महिमा वर्णित है। श्रौत यज्ञों को श्रेष्ठतम कर्म कहा है!

कुल श्रौत यज्ञों को १९ प्रकार से विभक्त कर उनका संक्षिप्त परिचय दिया जा रहा है
1. स्मार्तयज्ञः-
विवाह के अनन्तर विधिपूर्वक अग्नि का स्थापन करके जिस अग्नि में प्रातः सायं नित्य हवनादि कृत्य किये जाते हैं, उसे स्मार्ताग्नि कहते हैं! गृहस्थ को स्मार्ताग्नि में ही पका भोजन प्रतिदिन करना चाहिये।

2. श्रौताधान यज्ञः-
विधिपूर्वक दक्षिणाग्नि स्थापना को श्रौताधान कहते हैं! इसमें पितृ संबंधी कार्य होते हैं!

3. दर्शपौर्णमास यज्ञः-
अमावस्या और पूर्णिमा को होने वाले यज्ञ को दर्श और पौर्णमास कहते हैं! इस यज्ञ का अधिकार सपत्नीक होता है। इस यज्ञ का अनुष्ठान आजीवन करना चाहिए यदि कोई जीवन भर करने में असमर्थ है तो 30 वर्ष तक तो करना चाहिए।

4. चातुर्मास्य यज्ञः-
चार-चार महीने पर किये जाने वाले यज्ञ को चातुर्मास्य यज्ञ कहते हैं!

5. पशु यज्ञः-
प्रति वर्ष वर्षा ऋतु में या दक्षिणायन या उतरायण में संक्रान्ति के दिन एक बार जो पशु-याग किया जाता है, उसे निरूढ पशु-याग कहते हैं!

6. आग्रहायणेष्टि (नवान्न यज्ञ) :-
प्रति वर्ष वसन्त और शरद ऋतुओं में नवीन अन्न ( गेहूँ व चावल) से जो यज्ञ किया जाता है, उसे नवान्न कहते हैं!

7. श्रौतामणी-यज्ञ (पशुयज्ञ) :-
इन्द्र के निमित्त जो यज्ञ किया जाता है उसे श्रौतामणी यज्ञ कहते हैं!  यह इन्द्र संबन्धी पशु-यज्ञ है ! यह यज्ञ दो प्रकार का है। एक वह जो पांच दिन में पूरा होता है।
इस  श्रौतामणी यज्ञ में गोदुग्ध के साथ सुरा (मद्य) का भी प्रयोग है। किन्तु कलियुग में वर्ज्य है।
दूसरा पशुयाग कहा जाता है। क्योकि इसमें पांच अथवा तीन पशुओं की बली दी जाती है।

8. सोम यज्ञः-
सोमलता द्वारा जो यज्ञ किया जाता है उसे सोम यज्ञ कहते हैं! यह वसन्त में होता है ! यह यज्ञ एक ही दिन में पूर्ण होता है।????
 इस यज्ञ में 16 ऋत्विक ब्राह्मण होते हैं।

9. वाजपेय-यज्ञः-
इस यज्ञ के आदि और अन्त में बृहस्पति नामक सोम याग अथवा अग्निष्टोम यज्ञ होता है ! यह यज्ञ शरद रितु में होता है।

10. राजसूय यज्ञः-
राजसूय याग करने के बाद क्षत्रिय राजा  चक्रवर्ती उपाधि को धारण करता है।

11. अश्वमेघ यज्ञ:-
इस यज्ञ में दिग्विजय के लिए (घोडा) छोडा जाता है। यह यज्ञ दो वर्ष से भी अधिक समय में समाप्त होता है। इस यज्ञ का अधिकार सार्वभौम चक्रवर्ती राजा को ही होता है।

12. पुरुषमेध-यज्ञ:-
इस यज्ञ की समाप्ति चालीस दिनों में होती है। इस यज्ञ को करने के बाद यज्ञकर्ता गृह त्यागपूर्वक वान प्रस्थाश्रम में प्रवेश कर सकता है।

13. सर्वमेध यज्ञ:-
इस यज्ञ में सभी प्रकार के अन्नों और वनस्पतियों का हवन होता है। यह यज्ञ चौंतीस दिनों में समाप्त होता है।

14. एकाह यज्ञ:-
एक दिन में होने वाले यज्ञ को एकाह यज्ञ कहते हैं। इस यज्ञ में एक यजमान और सौलह विद्वान होते हैं!

स्मार्त यज्ञें---
15. रुद्र यज्ञ:-
यह तीन प्रकार का होता हैं रुद्र, महारुद्र और अतिरुद्र!

 रुद्र यज्ञ 5-7-9 दिन में होता है!
महारुद्र 9-11 दिन में होता हैं।
अतिरुद्र 9-11 दिन में होता है।

रुद्रयाग में 16 अथवा 21 विद्वान होते हैं!
महारुद्र में 31 अथवा 41 विद्वान होते हैं!
अतिरुद्र याग में 61 अथवा 71 विद्वान होते हैं!

रुद्रयाग में हवन सामग्री 11 मन, महारुद्र में 21 मन अतिरुद्र में 70 मन हवन सामग्री लगती है।

16. विष्णु यज्ञ:-
यह यज्ञ भी तीन प्रकार का होता है। विष्णुयज्ञ, महाविष्णुयज्ञ, अतिविष्णुयज्ञ!

विष्णु यज्ञ में 5-7-8 अथवा 9 दिन में होता है। महाविष्णु याग 9 दिन में औरअतिविष्णु 9 दिन में अथवा 11 दिन में होता है!
विष्णु याग में 16 महाविष्णु-याग में  41 विद्वान होते हैं। अति विष्णु याग में 61 अथवा 71 विद्वान होते है।

विष्णु याग में हवन सामग्री 11 मन ! महाविष्णु याग में 21 मन और अतिविष्णु याग में 55 मन लगती है।

17. हरिहर यज्ञ:-
हरिहर महायज्ञ में हरि (विष्णु) और हर (शिव) इन दोनों का यज्ञ होता है। हरिहर यज्ञ में 16 अथवा 21 विद्वान होते हैं!  हरिहर याग में हवन सामग्री 25 मन लगती हैं। यह महायज्ञ 9 दिन अथवा 11 दिन में होता है।

18. शिव शक्ति महायज्ञ:-
शिवशक्ति महायज्ञ में शिव और शक्ति (दुर्गा) इन दोनों का यज्ञ होता है। शिव यज्ञ प्रातः काल और शक्ति (दुर्गा) इन दोनों का यज्ञ होता है। शिव यज्ञ प्रातः काल और मध्याह्न में होता है। इस यज्ञ में हवन सामग्री 15 मन लगती है, तथा 21 विद्वान होते हैं! यह महायज्ञ 9 दिन अथवा 11 दिन में सुसम्पन्न होता है।

19. राम यज्ञ:-
राम यज्ञ विष्णु यज्ञ की तरह होता है। रामजी की आहुति होती है। रामयज्ञ में 16 अथवा 21 विद्वान होते हैं ! हवन सामग्री 15 मन लगती है। यह यज्ञ 8 दिन में होता है।

20. गणेश यज्ञ:-
गणेश यज्ञ में एक लाख (100000) आहुति होती है। 16 अथवा 21 विद्वान होते है। गणेशयज्ञ में हवन सामग्री 21 मन लगती है। यह यज्ञ 8 दिन में होता है।

21. ब्रह्म यज्ञ (प्रजापति यज्ञ):-
प्रजापत्ति याग में एक लाख (100000) आहुति होती हैं इसमें 16 अथवा 21 विद्वान होते है। प्रजापति यज्ञ में 12 मन सामग्री लगती है। 8 दिन में होता है।

22. सूर्य यज्ञ:-
सूर्य यज्ञ में एक करोड़ 10000000 आहुति होती है। 16 अथवा 21 विद्वान होते है। सूर्य यज्ञ  21 दिन में किया जाता है। इस यज्ञ में 120 मन हवन सामग्री लगती है।

23. दूर्गा यज्ञ:-
दूर्गा यज्ञ में दूर्गासप्तशती से हवन होता है। दूर्गा यज्ञ में हवन करने वाले 4 विद्वान होते हैं! अथवा 16 या 21 विद्वान होते है। यह यज्ञ 9 दिन का होता है। हवन सामग्री 10 मन अथवा 15 मन लगती है।

24. लक्ष्मी यज्ञ:-
लक्ष्मी यज्ञ में श्री सुक्त से हवन होता है। लक्ष्मी यज्ञ (100000) एक लाख आहुति होती हैं! इस यज्ञ में 11 अथवा 16 विद्वान होते हैं! अथवा 21 विद्वान होते हैं यह 8 दिन में किया जाता है। 15 मन हवन सामग्री लगती है।

25. लक्ष्मी नारायण महायज्ञ:-
लक्ष्मी नारायण महायज्ञ में लक्ष्मी और नारायण का हवन होता हैं ! प्रात लक्ष्मी व दोपहर में  नारायण का यज्ञ होता है। एक लाख 8 हजार अथवा 1 लाख 25 हजार आहुतियां होती है।
30 मन हवन सामग्री लगती है। 31 विद्वान होते हैं। यह यज्ञ 8 दिन 9 दिन अथवा 11 दिन में पूरा होता है।

26. नवग्रह महायज्ञ:-
नवग्रह महायज्ञ में नवग्रह और नवग्रह के अधिदेवता तथा प्रत्याधिदेवता के निमित्त आहुति होती हैं !
नवग्रह~ महायज्ञ में एक करोड़ आहुति अथवा एक लाख अथवा दस हजार आहुति होती है। 31, 41 विद्वान होते है। हवन सामग्री 11 मन लगती है। कोटिमात्मक नव ग्रह महायज्ञ में हवन सामग्री अधिक लगती हैं यह यज्ञ ९ दिन में होता हैं इसमें 1,5,9 और 100 कुण्ड होते है। नवग्रह महायज्ञ में नवग्रह के आकार के 9 कुण्डों के बनाने का अधिकार है।

27. विश्वशांति महायज्ञ:-
विश्वशांति महायज्ञ में शुक्लयजुर्वेद के 36 वे अध्याय के सम्पूर्ण मंत्रों से आहुति होती है। विश्वशांति महायज्ञ में सवा लाख (123000) आहुति होती हैं इस में 21 अथवा 31 विद्वान होते है। इसमें हवन सामग्री 15 मन लगती है। यह यज्ञ 9 दिन अथवा 4 दिन में होता है।

28. पर्जन्य यज्ञ (इन्द्र यज्ञ):-
पर्जन्य यज्ञ (इन्द्र यज्ञ) वर्षा के लिए किया जाता है। इन्द्र यज्ञ में तीन लाख बीस हजार (320000) आहुति होती हैं अथवा एक लाख 60 हजार (160000) आहुति होती है। 31 मन हवन सामग्री लगती है। इस में 31 विद्वान हवन करने वाले होते है। इन्द्रयाग 11 दिन में सुसम्पन्न होता है।

29. अतिवृष्टि रोकने के लिए यज्ञ:-
अनेक गुप्त मंत्रों से जल में 108 वार आहुति देने से घोर वर्षा बन्द हो जाती है।

30. गोयज्ञ:-
वेदादि शास्त्रों में गोयज्ञ लिखे है। वैदिक काल में बडे-बडे़ गोयज्ञ हुआ करते थे। भगवान श्री कृष्ण ने भी गोवर्धन पूजन के समय गौयज्ञ कराया था। गोयज्ञ में वे वेदोक्त गोसूक्तों से गोरक्षार्थ हवन , गौ पूजन , वृषभ पूजन आदि कार्य किये जाते हैं! जिससे गौसंरक्षण , गौ-संवर्धन, गौवंश-रक्षण, गौवंश-वर्धन गौ-महत्व प्रख्यापन और गौ-सड्गतिकरण आदि में लाभ मिलता हैं ! गौयज्ञ में ऋग्वेद के मंत्रों द्वारा हवन होता है। इस में सवा लाख अथवा  250000 आहुति होती हैं ! गौयाग में हवन करने वाले 21 विद्वान होते है। यह यज्ञ 8 अथवा 9 दिन में सुसम्पन्न होता है।

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